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1 Mar 2019

पलायन

अभी 6 साल ही तो हुए है मुँह के सारे दाँत तक न निकले थे !बहुत खुश था वो कलकत्ता जाना है !बड़ी बिल्डिंगे बस ट्राम चौड़ी सड़के होंगी खूब घूमेगा सड़को पर खूब अच्छा अच्छा खाना तो मिलेगा ही बाबूजी भी साथ होंगे ही /आखिर शहर है भाई फिल्मो में देखा था इसने चमचमाते शहर दिन जैसा लगता है !दिल की उमंगे सातवें आसमान पर थी \
गरीबी ने इसके बाप को पिछले साल ही शहर घसीट लाया था दिन भर हाड़तोड़ मेहनत करता खुद का पेट पालता और उसी में से कुछ रूपये घर के लिए भेजता पर वो पाँच सदस्यों के बड़े परिवार के लिए काफी न था
[9:41 PM, 1/8/2019] pinks: थक- हारकर वो साल भर बाद ही गाँव लौट आया /साल भर में उसका बड़ा बेटा जिसकी उम्र 6 वर्ष है .कुछ बड़ा हो चुका था /मियाँ बीबी ने कुछ खुद में ही गुप्तगू किया तकरार हुई रूठने मानाने तक की नौबत आई पर लाख रोकने के बाद भी इसने अपने बेटे को शहर ला ही दिया \
दो दिन से ठीक से खाने को भी नहीं मिला यहाँ तो माँ भी नहीं जो खाने को कहती /भूख से बच्चे का चेहरा सुखा जा रहा है /किसी तरह बस खाने को इन्तजाम हो पाता /रात में सोने के लिए बमुश्किल से फुटपाथ पर एक जगह मिली /दोनों बाप बेटे गमछा बिछाकर लेट गए /गाँव पर कुछ न था फिर भी सोने के लिए खटिया तो था /यहाँ तो वो भी नहीं , बच्चे की आँखो से आँसू निकलने लगे वो फुट -फुट कर रोने लगा /आँसु रोकते न बन पड़ती थी \
[10:49 PM, 1/8/2019] pinks: क्या यही कलकत्ता है जहाँ चौड़ी सड़के है ट्राम है बड़ी बड़ी चमचमाती गाड़िया है पर उसके और उसके बाप के लिए सोने के लिए फुटपाथ पर भी जगह के लिए झीना झपटी करनी पड़ी खाने के लिए दो दिन से तरसना पड़ा /यहाँ तो उसके दोस्त भी नहीं जिनके साथ गिल्ली डण्डा लुका छिप्पी खले पाता मेले में जाने के लिए अब वो किस माँ से पैसे माँगेगा स्कूल का मुँह तक न देखा अपने दोस्तों को गाँव जाकर क्या ये यही सब बताएगा /बाप ने जब अपने छोटे से फूल से प्यारे जिगर के टुकड़े को इस तरह रोते देखा तो खुद को रोक न पाया अपने गमछे से उसके आँसू पोछने लगा और बायीं तरफ मुँह फेर लिया नजरे न मिला पाया वो /चुप कराने की भरपूर कोशिस की और खुद ही बेकाबू हो उठा /इसने अपने बेटे की आँखो में अपना प्यारा सा दुलारा बेटा मरते हुए देखा ओर एक बेरोजगार असहाय पीड़ित अभागा बेटा जन्म लेते हुए देखा

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