तलाक हुए छः महीने भी न हुए थे , और सगी माँ का व्यहार सौतेली से भी बदतर हो गया । गोद में पाँच साल की बच्ची है , फिर भी इसकी माँ ने दूसरी शादी करने की ज़िद न छोड़ी। माँ बाप ने उम्र में दो गुने बड़े लड़के से इसकी शादी कर दी । फूले न समायी वो दिन - भर सिंगार पाउडर में लगी रहती । लगता जैसे सुखे पेड़ में फिर से जान आ गयी हो । रीझाने का कोई मौक़ा नागा न करती । नयी - नयी साड़ी पहनना बेवजह हँसना , खुले बाल और हर किसी से खुलकर बात करना , सिवाय अपने पाँच साल की बच्ची के । जिसके सूरत से भी अब इसे नफरत होने लगी थी ।
बच्ची दिन -भर घर में पड़ी रहती । वो सोचती '' क्या यही वो इसकी माँ है जो आज से छः महीने पहले उसे पाने के लिए कचहरी तक जा पहुँची थी , और आज पता नही ये क्यों उस आदमी के बाहों में झूली रहती । इसे रह - रहकर वो दिन बहुत याद आते जब इसकी नाक बह रही होती तो प्यार से उसकी माँ गोद में उठा लेती और नाक पोंछ कर दूध पिलाने लगती , अगर ज़रा भी बदन पर धूल लगी होती तो नहा देती , आँखों में काज़ल लगाती और इसके पसन्द की हर एक चीज़ ला देती '' पर आज वो आँगन में नंग -धड़ंग भूख से बेसुद पड़ी है , नाक बह रही है , मुँह पर मक्खियाँ भनभना रही है , धूल से सारा बदन सना पड़ा है , नहाए हुए चार दिन हो चके है , पर खबर लेने के बजाए इसकी माँ कमरे में अपने नए पति के साथ बन्द है ।
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