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1 Mar 2019

सौतेली


तलाक हुए छः महीने भी न हुए थे , और सगी माँ का व्यहार सौतेली से भी बदतर हो गया । गोद में पाँच साल की बच्ची है , फिर भी इसकी माँ ने दूसरी शादी करने की ज़िद न छोड़ी। माँ बाप ने उम्र में दो गुने बड़े लड़के से इसकी शादी कर दी । फूले न समायी वो दिन - भर सिंगार पाउडर में लगी रहती । लगता जैसे सुखे पेड़ में फिर से जान आ गयी हो । रीझाने का कोई मौक़ा नागा न करती । नयी - नयी साड़ी पहनना बेवजह हँसना , खुले बाल और हर किसी से खुलकर बात करना , सिवाय अपने पाँच साल की बच्ची के । जिसके सूरत से भी अब इसे नफरत होने लगी थी ।
बच्ची दिन -भर घर में पड़ी रहती । वो सोचती '' क्या यही वो इसकी माँ है जो आज से छः महीने पहले उसे पाने के लिए कचहरी तक जा पहुँची थी , और आज पता नही ये क्यों उस आदमी के बाहों में झूली रहती । इसे रह - रहकर वो दिन बहुत याद आते जब इसकी नाक बह रही होती तो प्यार से उसकी माँ गोद में उठा लेती और नाक पोंछ कर दूध पिलाने लगती , अगर ज़रा भी बदन पर धूल लगी होती तो नहा देती , आँखों में काज़ल लगाती और इसके पसन्द की हर एक चीज़ ला देती '' पर आज वो आँगन में नंग -धड़ंग भूख से बेसुद पड़ी है , नाक बह रही है , मुँह पर मक्खियाँ भनभना रही है , धूल से सारा बदन सना पड़ा है , नहाए हुए चार दिन हो चके है , पर खबर लेने के बजाए इसकी माँ कमरे में अपने नए पति के साथ बन्द है ।

स्टेशन का बेंच

  सुबह के नौं बजने को था , वो रात से ही बेचैन था । जल्दी से तैयार होकर नास्ता किया , पीठ पर कॉलेज बैग लिया , घड़ी पहनी और बस पकड़ने को चल दिया ।
 आह ! क्या मौसम है आज सारा कुछ नया सा लग रहा हैं , चाय की दुकान , शोर - शराबे , हाथ रिक्सा , गाड़ियों की ककर्श सीटी , ट्रैफिक ,
 पर आज इनमें भी उमंगें थी , मिठास थी । वो बस पकड़ के सीधा स्टेशन जा पहुँचा और टिकट काटकर इंतजार करने लगा , ट्रेन का 1 प्लेटफॉर्म पर आज कुछ ज़्यादा ही भीड़ थी , किताबों के स्टॉल सजे थे , फलवाली टोकरियों में फल सजाए बैठी थी ,
  लोग ख़ुद में ही मशगूल थे । आज काफी गर्मी लग रही थी , पर इस गर्मी में भी नरमीपन सा अहसास था । ट्रेन रुकी , सिर्फ 5 मिनट को , वो जल्दी से दाख़िल हुआ और खिड़की के पास जा बैठा ।
  ट्रेन सरपट दौड़ने लगी , एक - एक स्टेशन पीछे छुटने लगे । पेड़ भी मानों ट्रेन के साथ दौड़ लगा रहे हों । हर स्टेशन पर ट्रेन रूकती , लोग उतरते और कुछ चढ़ते । ये एक घंटे का सफर मानों सदियों सा लग रहा था । क्यों गाड़ियों के स्पीड सीमित होते है , काश 330 किलोमीटर/ ऑवर के रफ्तार से चलती तो कितनी जल्दी वो पहुँच चुका होता । आख़िरकार वो अपनी मंज़िल तक पहुँच ही गया , मल्लिकपुर स्टेशन ।
वो जल्दी से पहले से तय स्थान पर पहुँचा , और इंतजार करने लगा । आज एक - एक मिनट घंटो सा लग रहा था , कब चार बजे , कब समय जल्दी से बीते । वह इसी तरह बैठा रहा कुछ सोचता रहा ।
जैसे - जैसे समय बीत रहा था इसकी धड़कने तेज़ होती जा रही थी , आख़िरकार दो घंटे बाद स्टेशन के दूसरे छोर पर एक मनमोहक आकृति नज़र आई , काले लंबे बाल , गोरा चेहरा , भूरी आँखे और सदा की तरह होंठो पर तैरते मुस्कान । यही वो है , जिससे मिलने वो इतनी दूर तक चला आया ,
  अपनों के परवाह किये बग़ैर । उसके पास आते ही जैसे अगल - बगल की आबो- हवा एकदम बदल गई नशे में झुमादेनेवाली , दिल को मदहोश कर देनेवाली खुशबू , उसके बदन से आ रही थी । ये तो जैसे खो ही गया । दोनों पास ही लगे लकड़ी के कत्थई रंग के बेंच पर जा बैठे । कुछ बोलते बन न पड़ता था , दोनों एक दूसरे की आँखों में खोने लगे शब्दों की दरकार न थी ,
 आँखों ही आँखों में सारा कुछ तय हो रहा था । साँसों से महसूस किया जा रहा था । पर आज आँखों में उल्लास की जगह नमी और चेहरे पर उदासी छाने लगी । वो धीरे - धीरे सिसकियाँ लेने लगी । ये देखकर समझ गया , ख़ुदा ने आख़िर अपना खेल दिखा ही दिया । वही हुआ जिसकी कल्पना मात्र से इसका दिल मोतियों की तरह टुटकर बिखर जाता था । दिल में जो उमंगे थीं , आशाएँ थी , जो सपने थे वो पल भर में उसके आसुओं ने धो दिए । अचानक सबकुछ बेरंग और बेरस लगने लगा । सजाए हुए सारे सपने टूट गए । घरवाले तैयार न थे ।

सुबह के नौ बजे हैं , वो जल्दी से तैयार होकर नास्ता किया और अपने पाँच साल के बेटे को स्कूल के लिए गाड़ी से छोड़ने चल दिया और उधर से ही अपने ऑफिस । आज बॉस ने मिटिंग बुलाई है , सारे शेयर होल्डर्स की । कंपनी एक नई फैक्ट्री शुरू करना चाहती है , सरकार के तरफ से भी ज़मीन और अनुमती मिल चुकी है । करीब दो घंटे की मिटिंग में बात पक्की कर ली गई और इसे उस प्रोजेक्ट के लिए चुना गया। दोपहर ढ़ाई बजे अपने बॉस के साथ वो जगह देखने चल दिया । करीब घंटे भर बाद वो पहुँचे , मल्लिकपुर स्टेशन -------अरे ! ये क्या । यहीं पर स्टेशन के पीछे खाली पड़ी ज़मीन पर फैक्ट्री लगनी थी ।
  वो गाड़ी से उतरकर सीधे स्टेशन जा पहुँचा । प्लेटफॉर्म पर घुमते हुए वो आगे की ओर बढ़ा तभी उसे वो बेंच दिखी , कत्थई रंग की , बदरंग , टूटी हुई । दस साल , एक लंबा समय , ज़िन्दगी ने न जाने कितने मोड़ लिए , कितने उतार चढ़ाव देखे । समय के तेज़ रफ्तार ने उन यादों पर धूल की एक मोटी परत ज़मा दी थी । जीवन के इस दौड़ में इसने ख़ुद को भुला ही दिया था , उन यादों को भी । पर आज इस बेंच को देखने के बाद वो पल इसकी आँखों के सामने फिर से जीवित हो उठे । इसके मन में एक हलचल सी पैदा हुई , दिल में एक टीस सी उठी । वो ख़ुद को रोक न पाया और बेंच पर जा बैठा । पर आज बगल में वो न थी । मन को एक गहरी उदासी ने घेर लिया एक खालीपन सा अहसास हुआ । जिस जगह वो बैठी थी , वहाँ इसने धीरे से अपना हाथ रखा और बोझल पलकें ख़ुद -ब -ख़ुद बंद हो गईँ ।

कर्नल की बेटी

गुवाहटी के पहाड़ियों के बीच गाड़ी 120km/hr. की रफतार से हवा को चीरते हुए बढ़ रही थी /नवम्बर का महीना वातावरण में कुहासे की बूंदे अभी तक थी नतीजा आसमान में सूर्य को बादलो ने ढँक रखा था जिससे सिर्फ थोड़ी -थोड़ी पीली धूप ही धरती पर पहुँच पा रही थी /बर्फ से पहाड़ ढकां पड़ा था /ऐसा लग रहा था जैसे बड़े -बड़े कपासी रुई के टाल लगे लगे हों /उनपर जब सूर्य की हलकी रोशनी पड़ती तो वो सात रंगो में बिभक्त होकर एक अलग ही छटा वातावरण में बिखेरतीं /पहाड़ी की तलहटी में जंगल ही जंगल ही जंगल थे /

[9:56 PM, 1/10/2019] pinks: बड़े -बड़े बर्फीले पेड़ दूर -दूर तक शायद ही कोइ कोइ घर दिखाई पड़ते /इन दुर्गम पहाड़ियों के रास्ते अपने ही धुन में मग्न तीन नवयुवक रोमांचकारी सफ़र को अनुभव करने को चल पड़े थे /
/दोपहर के 12 बजने को थे पर हल्के कुहासे चीज़ वज़ह से मौसम में काफी ठंडक थी पहाड़ियों पर हवा भी काफी तेज़ बह रही थी /'ऐ शिवालिक गाड़ी रोक ना 'पिछले सीट पर बायीं तरफ बैठे राजीव ने खिड़की का शीशा निचे सरकाते हुए कहा
राजीव =पिछले साल ही एक सरकारी कंपनी में नए असिस्टेन्ट सेकेरेट्री के तौर पर नियुक्ति हुई थी /शरीर दुबला पतला और छरहरा बदन /स्वभाव से मिलन सार /नया घर बनाने का सपना था सो अभी से ही पैसा इकट्टा करना शुरू कर दिया था /
' क्या हुआ बे तेरे को शीशा बंद कर ठंड लग रहीं है 'धीरू जो उसी सीट पर दायी तरफ बैठा लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था झुँझलाते हुए कहा
धीरू =बैंक में सेकेरेट्री के तौर पर नियुक्त हुए साल भर हुए थे पर शेयर मार्केट में पैसा लगाकर मोटी कमाई कर ली थी /इसके पिता भी बैंक में ही काम करते थे सो घर में किसी चीज़ की तकलीफ न थी /स्वभाव से जल्दी घबड़ा जानेवाला धीरू तीनों में सबसे लंबा था /
[10:45 PM, 1/10/2019] pinks: 'अरे फिर ज़ोर सेकेरेट्री लगी होगी इसे क्यों राजीव 'शिवालिक ने चुटकी लेते हुए गाड़ी का स्टेयरिंग बायीं तरफ घूमाते हुए कहा \
शिवालिक -एक मल्टीनेशनल में में सेकेरेट्री के तौर पर साल भर से काम कर रहा था \साथ ही टैक्स कन्सल्टेंट का भी काम करता था सो इसने भी अच्छी खासी बैंक बैलेंस में इजाफ़ा कर लिया था \स्वभाव से थोड़ा मज़ाकिया पर रंगीन मिज़ाज का सजीला नौजवान था \तीनों में काफी समानताएँ थी \तीनों ने साथ में ही कंपनी सेकेरेट्री की परीक्षा पास की थी \तीनों की ही शादी नहीं हुई थी
[11:13 PM, 1/10/2019] pinks: और तीनो ही अपना -अपना बिज़नेस शुरू करना चाहते थे \पर कुछ असमानताएँ भी थी \तीनों ही अलग -अलग शर में कम करते थे इन सबमें सिर्फ शिवालिक ही था जो सामाजिक सरोकार से जुड़ी मुद्दों पर कम करता था \
'अबे गाड़ी रोक' न'राजीव थोड़ा बेचैन होकर कहा \'रोक दे शिवा (शिवालिक को ये लोग प्यार से शिवा बुलाते थे )नहीं तो तु समझ रहा है न मैं क्या कहना चाह रहा हूँ 'धीरू आँखों से कुछ इशारा करते हुए कहा 'हाँ -हाँ ठीक है रोकता हूँ 'शिवालिक ने गाड़ी को रोड के किनारे रोक दिया \तीनों गाड़ी से बाहर निकले और झाड़ी के पास खड़े होकर मूत्र विसर्जन करने लगे \
 धीरू ' अभी गुवाहाटी जाने में और कितनी देर लगेगी '
 शिवालिक -'कम से कम और 8 घंटे '
 राजीव -'तब तक तो काफ़ी रात हो जाएगी '
 शिवालिक -'आज शाम को हमलोगों को पास ही किसी इलाके में ठहरना होगा "
[11:47 PM, 1/10/2019] pinks: धीरू 'लेकिन ऐसे किसके यहाँ ठहरोगे '
शिवालिक 'यहाँ से दो घंटे के सफर के बाद एक जगह है जहाँ पापा के दोस्त रहते है हमें वही रुकना होगा' ''''तब तो ठीक है 'राजीव ने पैन्ट की चेन बन्द की और राहत की साँस लेते हुए कहा \
तीनों फिर गाड़ी में बैठ गए और आगे की सफ़र के लिए चल पड़ी /रास्तें की बायीं तरफ गहरी खायी थी और दाहनी तरफ ऊँची पथरीली पहाड़ जो बर्फ से ढ़की हुई थी \
 रास्ता काफी चिकना था दोनों तरफ दुरी बताने वाले पत्थर गड़े हुए थे पर ऊँचा निचा था पहाड़ी संरचना होने की वजह से \
 'तुझे क्या लगता है शिवा अगर अपना भी इस इलाके में एक घर हो तो कैसा रहेगा ' राजीव खिड़की से बाहर हाथियों के झुँड को जाते देखकर कहा \
 आजकल के युवाओ के साथ ये सबसे बड़ी नासमझने वाली बात है \नौकरी मिली नहीं और घर बनाने का सपना महंगी गाड़िया खरीदने का सपना संजोने लगते है जबकि इनके पास खुद की जमापूंजी पर्याप्त नहीं होते ये सब ये बैंको से लोन लेकर करना चाहते है जो भविष्य के दृष्टिकोण से ठीक नहीं क्योंकि शादी होने के बाद एक इंसान की जरूरते एकदम से बदल जाती है \
 'अच्छा जब हम पुछले बार गर्मी छुट्टी में राजस्थान गए थे तो तुम्हे कुछ ऐसे ही विचार आए थे न वहाँ के रजवाड़े हवेलियों को देखकर शिवालिक ने राजीव की खींचाई करते हुए कहा ये बात सुनकर धीरू ने जोर से ठहाका लगाया \वो अब भी लैपटॉप के बटन को सता रहा था मतलब कुछ कर रहा था \
'' अगली बार जब कभी अगर हम गोवा के समुद्री तट पर जाएंगे तो राजीव उस तट पर भी एक घर बनाने को सोचेगा 'धीरू ने भी कोई कसर न छोड़ी\

'तुम सालों को हर समय मज़ाक लगती है नाराज़ होते हुए ग़ुस्से में कहा \अगर किसी इंसान को उसके सबसे प्यारी चीज़ के बारे में कुछ उल्टा बोल दिया जाए तो उसे सचमुच में बुरा लग सकता है \
'अरे नहीं यार मैं तो सिरियस हूँ लेकिन अगली बार हमलोंग एक हेलीकॉपटर किराया पर लेंगे और तब चलेंगे किसी द्विप पर 'शिवालिक सामने तेज़ गती से जाते हुए ट्रक को ओवरटेक करते हुए बोला
'' तब राजीव हवा में घर कैसे बनाएगा ओह मैं तो भूल ही गया था ,


[10:53 PM, 1/21/2019] pinks: राजीव तो हवा में ही घर बनाता हस /' धीरू ने राजीव को फिर छेड़ते हुए कहा / कुछ लोग दोस्तों के मुँह से प्यारे प्रवचन सुने बिना चैन की साँस नहीं लेते \
'तू सबसे बड़ा कमीना हस ना खुद कुछ करेगा और ना ही दूसरों को करने देगा 'राजीव चिढ़ा हुआ था \ इस बार शिवालिक और धीरू दोनों हंस पड़े \राजीव के अन्दर थोड़ा बचकनापन सा अब भी था \ इसी तरह हंसी मज़ाक करते एक दूसरे की खींचाई करते वे आगे की और बढ़ रहे थे /
'' अच्छा छोड़ ऐ सब धीरू बोल रहा था कि तेरा बॉस बड़ा रसिक मिजाज़ का आदमी है '' शिवालिक एक हाथ से स्टेयरिंग सँभाले बोतल से पानी पीते हुए कहा /
'' हाँ .......बे इसका ससुर लगता है न '' राजीव का गुस्सा कुछ ठंडा हो चुका था \ पर मिजाज़ में नरमी नहीं आयी थी \
'' ऐ देख मेरे ससुर के बारे में कुछ मत बोल ''
'' वो तो ठीक है पर तेरी बीवी किधर है आजतक तो दिखी नहीं '' शिवालिक गाड़ी को उसी रफ्तार में झाँकते हुए कहा \
[11:36 PM, 1/21/2019] pinks: राजीव -है ना .लैपटॉप में घुसी हुई है
शिवालिक -ओ हो .तब तो मैं कहुँ कि ये रास्ते भर से लैपटॉप में इतना व्यस्त क्यों है /
'' हे दोस्तों उधर दायीं तरफ आसमान में देखो क्या नज़ारा है '' धीरू ने विषय को बदलते हुए कहा /सभी आसमान की और देखने लगे \एक लाल रंग की हेलीकॉप्टर उड़ रहा था. उसपर से एक आदमी रस्सी के सहारे लटका हुआ था उसके हाथों में दूरबीन था / शायद ये खोजी हेलीकॉप्टर था क्यों कि इस पहाड़ी इलाको में दुर्घटना होनी आम बात है / बातों ही बातों में वो घंटे भर से ज़्यादा का सफर तय कर लिए / बीच में एक जगह गाड़ी रोककर पहाड़ पर गैंडे के झुँड का शिवालिक ने कैमरे से फोटो खींचा \ नौकरी लगने के बाद तीनो की ये दूसरी रोमांचकारी यात्रा थी \ पढ़ाई करने के दौरान ही हमेशा ये घुमने का योजना बनाया करते पर कभी मौका ना मिला / लेकिन अब ये जिंदगी को जी भर जी लेना चाहते थे /
''A.C क्यों बन्द कर दिया '' राजीव ने ठंड पड़ी हथेली को आपस में रगड़ते हुए कहा /
'' अरे मैंने बन्द नहीं बल्कि ख़ुद बन्द हो गई ''
[12:16 AM, 1/22/2019] pinks: शिवालिक ने .............A.c ..के बटन को ऑन ऑफ करते हुए कहा / धीरू अपना लैपटॉप बन्द कर चुका था और आँख बन्द किए सीट पर सर टिकाए हुए था \ तभी गाड़ी अचानक से बन्द हो गई \
[12:23 AM, 1/22/2019] pinks: '' माय गॉड गाड़ी का तेल खत्म हो चुका है शायद ''शिवालिक ने गाड़ी रोककर इंजन का ढक्क्न खोला तभी उसे खाँसी आने लगी 'ओह.सहित... रेडियेटर में पानी खत्म होने की वजह से इंजन गर्म हो चुका है अब मुश्किल है स्टार्ट करना ''
[12:33 AM, 1/22/2019] pinks: '' अब क्या होगा हमलोग एकदम बीच में आकर फँस गए. यहाँ से कितनी दूर हैं वो जगह ''
'' बस एक किलोमीटर '' राजीव ने रोड के किनारे पत्थर पर लिखे कि.मी की दूरी पढ़कर बताया \
'' अब दो बज चुके हैं .अगर घंटे दो घंटे में हम किसी सुरक्षित जगह नहीं पहुँचे तो शाम हो जाएगी '' धीरू चिंतित आवाज़ में कहा /
'' एक उपाय है तुमलोग गाड़ी को धक्का दो आगे सड़क अगर ढलान वाला आया तो शायद हम शाम होने से पहले किसी पास के इलाके तक पहुँच पाए ''
[6:50 PM, 1/22/2019] pinks: शिवालिक ने फिर से स्टेयरिंग संभाला और धीरू तथा राजीव पीछे से गाड़ी को धक्का देने लगे \ मुश्किल से गाड़ी एक फीट ही खिसक पायी
'' अरे कर क्या रहे हो तुमलोग अगर इस कछुआ रफ्तार में ही गाड़ी खिसकती रही तो एक किलोमीटर का रास्ता पाँच घंटे में तय होंगे .जोर से धक्का दो '' शिवालिक ने खिड़की से झाँककर कहा \
'' क्यों बे लंबू .कैसा लग रहा है .मजा आ रहा है ना राजीव पुरी ताकत झोंकते हुए कहा \
,धीरू ने कोई जवाब ना दिया बल्कि अपनी पुरी ज़िस्मानी ताकत गाड़ी को खिसकाने में लगा दिया \ इस बार गाड़ी धीरे से आगे बढ़ी \
'' हाँ .इसी तरह और जोर से धकेलो पहलवानों शिवालिक ने दोनों में जोश भरते हुए कहा \
,वैसे दोनों को देखकर शायद ही कोई पहलवान कहता .पर वक़्त की नज़ाकत को देखते हुए शिवालिक ने कहने की हिम्मत दिखाई थी \राजीव के बदन पर टी-शर्ट ऐसा लगता जैसे पुतले को ज़बरदस्ती बड़े धोती से लपेट दिया गया हो /वहीं धीरू एक बिजली के खंभे की तरह लंबा था .आजकल जीम में बराबर पसीना जाया करता था पर .नतीजा .वही ढाक के तीन पात \
[7:14 PM, 1/22/2019] pinks: '' के.ों.......... ....... राजीव. ज़ोर लगाके ''
'' हइसा '' इसबार दोनों ने अपनी पुरी ताक़त झोंक दी .गाड़ी धीरे -धीरे .सरकने लगी थी \ इस तरह धकेलते हुए एक की०मी० का सफर आधा घंटा में तय हुआ \ वो एक लाइन होटल के पास पहुंचे \ जहाँ सिर्फ एक छोटी चाय की दुकान थी \पर संयोग से एक मैकेनिक की भी दुकान थी .तीनो ने पहले मैकेनिक से .गाड़ी बनाने के लिए बात की \ मैकेनिक ने पन्द्रह मिनट तक गाड़ी का परीक्षण किया और कहा कि गाड़ी को ठीक होने में दो घंटे से ज़्यादा समय लगेगा .चुकी भीतर का कोई पार्ट जल गया है \ये सुनकर तीनों के चेहरे पर बारह बजने लगे .पर इस हालत में वे कर भी क्या सकते थे \
[8:06 PM, 1/22/2019] pinks: '' चलो चलकर चाय पिया जाए शायद ठंड से कुछ राहत मिले ''
शिवालिक दोनों को साथ ले चाय की दुकान पर पहुँचा \
'' तीन चाय देना .भाई '' धीरू \ तीनों पास लगे बेंच पर जा बैठे \
'' अब दो घंटे करेंगे क्या '' राजीव हथेली को आपस में रगड़ते हुए कहा \
'' ये सामने की पहाड़ी ज़्यादा ऊँची नहीं है चला जाए उस पार घुमने '' शिवालिक उत्साहित होते हुए कहा \ तभी चाय वाले ने आकर तीनों को चाय दिया और बताया की इस पहाड़ी का नाम कुंदू पहाड़ी है .और उसके दूसरी तरफ एक छोटी बस्ती है जिसका नाम कुंदू बस्ती है \ तीनों ने चाय पिया और गाड़ी से हैंडीकैम लेकर चल पड़े पहाड़ी की चढ़ाई करने \ इस यात्रा में ये पहली दफ़ा पहाड़ पर चढ़ाई करने जा रहे थे वो भी बिना किसी रस्सी के मदद से \रोमांचक लोग हर जगह रोमांच ढूँढ ही लेते है \ पहाड़ी पूरी तरह बर्फ से ढ़की हुई न थी बल्कि उसका कुछ भाग खाली भी था \ तीनों बड़े -बड़े पत्थरों के बीच पड़े छोटे गड्डों में हाथ फसांकर धीरे -धीरे चढ़ना शुरू किए \दिन के तीन बज रहे थे सूर्य की हल्की हल्की रोशनी पहाड़ियों पर पड़ रही थी .जिससे बर्फ चाँदी की तरह चमक रहे थे \ सबसे आगे -आगे शिवालिक चढ़ रहा था उसके पीछे धीरू एंव राजीव \पंद्रह मिनट की चढ़ाई में ही तीनों हाँफने लगे \जिन्हे अपने घर की सीढ़ी चढ़ने में भी पसीने निकलते है .उनकी हालत कुछ ऐसी ही होती है \ पर वो आधी चढ़ाई कर चुके थे .पहाड़ी छोटी थी इसीलिए \
[8:41 PM, 1/22/2019] pinks: '' ये शिवा .रुक यार ! यहाँ कुछ देर आराम किया जाए फिर आगे बढ़ेंगे ''
राजीव जो सबसे पीछे चल रहा था .ने हाँफते हुए कहा \
'' हाँ यहाँ पर रुककर कुछ खाते ही .मुझे भूख भी लग रही ही '' धीरू .शिवालिक के करीब आ चुका था \
'' चलो जैसी सबकी मर्जी .वैसे मुझे ज़्यादा थकान हुई नहीं ही .फिर भी कुछ देर रुकते ही फिर चलेंगे '' शिवालिक ने कहा \
 .तीनों बड़े से पत्थर के पीछे किसी तरह टेक लगाकर बैठे \धीरू ने अपने बैग से बिस्कुट और भुजा का पैकेट निकाला और तीनों मिलकर खाने लगे \
'' घर के डायनिंग टेबल पर खाना और '' यहाँ पहाड़ पर खाने में ज़्यादा मज़ा यहि आ रहा ही '' राजीव मुँह में बिस्किट लेते हुए कहा \
'' एक कम कर . तू यहीं घर बसा ले '' धीरू पानी के बोतल को खोलते हुए कहा \ इस बार तिनो हँस पड़े \ शिवालिक कैमरे से पहाड़ो के विहंगम दृश्य का फोटो लिया और फिर वो आगे बड़ चले \ बात मज़ाक करते हुए वो पहाड़ी के ऊँची चोटी पर जा पहुँचे \
'' मैगोड़ .............. क्या बात ही .देखो तो .ये नज़ारा पहाड़ो का .किसी जन्न्त से कम नहीं '' शिवालिक . ख़ुशी से चहकते हुए कहा \
'' अरे इस तरह ये छोटा तालाब ही . इसमें देखों न कुछ पक्षी तैर रहें ही .कितना अच्छा लग रहा है '' राजीव बस्ती की तरफ इशारा करते हुए कहा \
 : '' हे ! वो देखो कितान सुन्दर बंगला है . धीरू ने बस्ती की और देखते हुए कहा \ तीनों ही इन नज़रो के तरफ आकर्षित हो चुके थे \
'' ऐ शिवा ! चल उस बंगले का नज़दीक से दीदार किया जाए '' राजीव को उस बंगले में अपना सपनों का घर दिखाई दे रहा था \
'' नहीं हमें वापस लौटने में देरी हो जाएगी वैसे भी इन पहाड़ी इलाकों में शाम होते ही उग्रवादियो का उत्पात बढ़ जाता है '' शिवालिक नीले आसमान में उड़ते पक्षीयों को निहारते हुए कहा
  ''अरे चल न यार . ज़्याद देर नही रुकेंगे वैसे भी पहाड़ चढ़ने में समय लगता है उतरने म नहीं . धीरू ने शिवालिक को मानते हुए कहा \
  '' ऐसी बात है .तो चलो देखते है सबसे पहले निचे कौन पहुँचता है '' राजीव पूरे उत्साह पूरे था बोलने के साथ ही नीचे उतरना शुरू कर दिया \
पीछे से धीरू और शिवालिक भी तेजी से उतरने लगे राजीव पूरे जोश में था .ख़ुशी से चिल्लाते हुए जल्दी -जल्दी निचे उतर रहा था \ धीरू एक पत्थर पर चढ़ा और दूसरे पत्थर पर कूद गया .सबसे पहले उतरने के चक्कर में गिरते -गिरते बचा \ इधर शिवालिक बर्फ पर फिसलते हुए उतर रहा था \ इस तरह पाँच मिनट में ही तीनों निचे उतर गए \सबसे पहले राजीव पहुचाँ . मारे खुशी के जोर -जोर से चिल्लाकर अपनी जीत का ऐलान करने लगा \ऐसा लग रहा था जैसे रास्ट्रीय दौड़ प्रतिस्पर्धा में प्रथम स्थान प्राप्त किया हो .और राष्ट्रपति से गोल्ड मिलनेवाला हो

[2:48 PM, 1/23/2019] pinks: यहाँ पहाड़ के निचे जंगल थे जो ज़्यादा घने न थे तीनों धीर -धीरे बात करते हुए जंगल पार किए ।करीब पन्द्रह मिनट बाद वो बस्ती के सीमा के पास आ पहुँचे । यहाँ एक छोटा तालाब था। और आस-पास बड़े-बड़े पत्थर पड़े हुए थे।घर ज़्यादा न थे गिनती के बीस घर होंगे शायद। इससे सबसे ज़्यादा खुबसूरत वो दो मंजिला बंगला लग रहा था जिसे देखने वो आए थे। वो बंगले के नज़दीक जा पहुँचे।वहाँ एक चबुतरा बना हुआ था , जो झंडे फहराने के काम मे लाया जाता होगा ।घर चारों तरफ चाहर दीवारी थी और सामने एक बड़ा सा लोहे का गेट था । आस पास झाड़ियाँ थी बड़े - बड़े पेड़ भी थे ज़मीन पर हरे- हरे घास उगे हुए थे , जो काफी सघन थी ।आस - पास कोई इंसान दिखाई न दे रहा था ।
तीनों चबुतरे पर जा बैठे।
,ये घर किसी कर्नल का है , राजीव
[3:29 PM, 1/23/2019] pinks: ''तुझे कैसे पता चला '' धीरू
'' वहाँ देख नेमप्लेट '' रिटायर कर्नल वीरभूम भूटिया ''
 राजीव गेट के पास लगे नेमप्लेट की ओर इशारा करते हुए कहा ।
" शाम में भी पूर्णिमा का चाँद दिखाई देता है क्या " शिवालिक
  " फालतू बात मत कर " धीरू
" अरे छत पर देख " शिवालिक
" ओ तेरी ये  क्या बला है, ये तो खुबसूरत बला है "  राजीव चौकते हुए कहा ।
छत पर एक गोरी खुबसूरत लडक़ी सुखे हुए कपड़े उतार रही थी ।उसके बाल हल्के भूरे रंग के थे । देखने में वो बीस साल से ज़्यादा की  नहीं  लग रही थी । पहाड़  की खुबसुरती उसकी आँखों से झलक रहे थे । सूर्य की पीली धूप उसके चेहरे पर पड़ रही थी जो उसकी खूबसूरती को और भी  मनमोहक बना रहे  थे। शिवालिक बस देखता ही रह गया । इस वीरान इलाके में छत पर अकेली एक खूबसूरत लड़की और उसी के घर के नीचे तीन कुँआरे लड़के , माहौल कुछ बदला-बदला सा हो गया । आए तो थे बंगला को निहारने पर यहाँ कुछ और ही निहारने लगे
" अरे यार क्या आइटम है " धीरू ने दाँत निपोरते हुए कहा।
" ओए , चुप कर  कभी तो जुबान पे लगाम लगा ,लड़की दिखी नही की कुत्ते की तरह जीभ से लार टपकाने लगे " शिवालिक को लड़की एक नज़र में भा गयी थी ,इसलिए धीरू की बात इसे अच्छी नहीं लगी । तीनों बिना पलक झपकाये एकटक निहार रहे थे ।बारिश के मौसम में जिस तरह बहुत सारे नर मेढ़क मादा मेढ़क को आकर्षित करने के लिए  अलग - अलग आवाज़ में सूर अलापते हैं ठिक उसी तरह इन तीनों का भी हाल मेढ़कों जैसा हो गया था ।बस फर्क इतना ही था कि वो आवाज़ का इस्तेमाल करते थे ओर ये  बचनों के तीर का इस्तेमाल कर रहे थे
[4:14 PM, 1/23/2019] pinks: तीनों के मुँह से शब्द नही निकल रहे थे पर आँखों में गजब की चमक थी ।देखते देखते सोचते हुए वो समय से परे निकल गये और भविष्य के कल्पना के सागर में हिचकोले खाने लगे ।
शिवालिक -: ' तुम क्यों काम कर रही हो तुम बैठ जाओ , मैं सारा काम कर दूंगा '' ।
लड़की-: '' नहीं नहीं मेरे होते हुए आप क्यों काम करेंगे गाँव- दुनिया देखेगा तो क्या कहेगा , आप बच्चों को संभालिय '
शिवालिक-: '' तुम कितनी प्यारी हो ''
लड़की -: '' सब आपके प्यार का परिणाम है ।
धीरू-: '' तुम जीन्स क्यों नहीं पहनती हो , तुम पर अच्छा लगेगा ''
लड़की -: '' मुझे शर्म लगती है ''
धीरू -: '' अरे शर्माना कैसा , तुम्हारा फिगर अच्छा है ''
लड़की -: '' धत तेरे की , आप बड़े वो है ''
धीरू -: '' तुम कितनी प्यारी हो ''
लड़की -: '' सब आपके प्यार का परिणाम है '' ।
राजीव -: '' हमलोग शादी जल्दी ही कर लेंगे ''
लड़की -: '' इतनी भी जल्दी क्या है , पहले घर बनाएंगे तब करेंगे ''
राजीव -: '' शादी के बाद मै तुम्हारे यहाँ ही रह जाऊँगा , वैसे भी इतने बड़े बंगले में तुम अकेली रहती हो ''
लड़की -: '' आप मेरा कितना ख्याल रखते है ''
राजीव -: '' तुम कितनी प्यारी हो ''
लड़की -: '' सब आपके प्यार का परिणाम है '' ।
तभी संयोग से तीनों के मुँह से एक ही शब्द निकला
'' मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ '' ।
आश्चर्य से , आँखे  फाड़े वे दूसरे को देखने लगे  ।
[4:35 PM, 1/23/2019] pinks: भविष्य के कल्पना के सागर से हटकर , तुरन्त ही वर्तमान के दुनिया में आ गये । उनका सपना टुट चुका था । वो एक दूसरे को ऐसे देख रहे थे जैसे उनकी चोरी पकड़ी गयी हो । जोरों की ठंडी हवा बह रही थी मौसम सुहावना सा लग रहा था ।
तभी लड़की के हाथ से एक कपड़ा छुट गया और हवा के झोंको से उड़कर छत के रेलिंग पर जा अटका । लड़की दौड़कर कपड़े को पकड़ना चाही और इसी क्रम में उसका दुप्पटा सरक कर ज़मीन पर गिर गया । वो बिना दुपट्टे के ही रेलिंग से झुककर कपड़े को निकालने का प्रयास करने लगी ।
[8:21 PM, 1/23/2019] pinks: तीनों इस दृश्य को बड़ी ही चाव से देख रहे थे । राजीव को लड़की का बिना दुपट्टे का झुकना उत्तेजीत कर गया । उसने जोर से सीटी मारी । लड़की ने इन लोगों को देखा और शरमाकर बिना कपड़ा लिए ही छत से दौड़कर नीचे उतर गयी । धीरू और राजीव दिनों ही इस दृश्य पर ज़ोर से ठहाका लगा पड़े । राजीव ने दो - तीन बार उत्साह में और सीटी मार दी । शिवालिक को राजीव का ये हरकत नागवार गुजरा ।
"  तुम्हारा दिमाग ठीक है ना , अन्जान जगह पर एक अन्जान लड़की को सीटी  मारने की क्या जरूरत थी " शिवालिक गुस्से में कहा ।
" अरे छोड़ न यार , ये कोई नई बात थोड़ी है " धीरु अच्छी तरह जानता था , शिवालिक का  गुस्सा बहुत  देर तक रहता है , इसीलिए इसने माहौल को हल्का करने की कोशिश करते हुए ।
" क्या छोड़ ना , तुमलोग जानते नहीं ये उग्रवादियों का इलाका है , और ऊपर से एक कर्नल की बेटी को सीटी  मारते हो , अगर इनके चुंगल में फँस  गए न हमलोग ,तो मार के इन्ही पहाड़ियों में फेंक देंगे " शिवालिक पुरे तैश में था ।
[9:26 PM, 1/23/2019] pinks: इसी बीच घर के अन्दर से किसी की भारी - भरकम भद्दी सी आवाज़ आयी , वो गालियाँ दे रहा था । तीनों चोकन्ने हो गए । तभी ग्रील का गेट झटके से खुला और कोई दौड़कर इनकी तरफ आने लगा । तीनों ने अपने -अपने टोपी से झटपट मुँह ढंक लिया ।
हाथ में बन्दुक लिए एक पाँच फुट गयारह इंच का तगड़ा इन्सान इनकी ओर आ रहा था । उसके मूँछ घने थे जो अन्तिम छोर पर बड़े ही कौशल से मुड़ा हुआ था । तीनों को समझते देर न लगी कि यही कर्नल है । कर्नल को रिटायर हुए दस साल हो चुके थे । स्वभाव से थोड़ा शकी और सनकी किस्म का इंसान था । घर में एक बेटी और नौकर के अलावा कोई न था । बीवी को गुजरे पाँच साल हो चुके थे । बीवी के जाने के बाद कर्नल भीतर से टुट चुका ।बेटी का भार एक अकेला मिलिट्री के कर्नल से उठा पाना मुश्किल होता जा रहा था ।
'' कमीनो , गंदी नाली के कीड़ों '' कर्नल गालियाँ देते हुए इनकी तरफ भागा । इन तीनों ने भी बिना देर किए भागना शुरू कर दिया जिस तरह भुखी बिल्ली चूहों को देखकर उनपर झपटती है , ठीक कर्नल का भी यही हाल था ।
'' भागते कहाँ हो , ठहरो मैं अभी तुम्हे बताता हूँ , देहाती मुर्गी के छोटे अंडो '' अपनी बेटी की तरफ कोई आँख उठाकर भी देखे ये कर्नल को हरगिज़ बर्दाश्त न था ।
'' अरे यार , ये अजीब - अजीब मुहावरों वाली गालियाँ क्यों दे रहा है बे '' शिवालिक पुरी रफ्तार में भागते हुए बोला ।
'' चुप करना , यहाँ जान साँसत में है और तुझे गाली की पड़ी है '' धीरू के घबड़ाहट से ठीक तरह से आवाज़ भी न निकल पा रहे थे । गौरतलब बात ये थी कि इस उम्र में भी कर्नल की भागने की रफ्तार काफी अच्छी थी । वो सिर्फ इनसे बीस कदम ही पीछे था ।आज तीनों को बड़ी ही शिद्दत से इस बात का अहसास हुआ की शहर में कंपनी के ऑफिस में बैठकर दिमाग़ दौड़ाने और फ़ौज में दौड़ लगाने में ज़्यादा कठिन , फ़ौज में दौड़ लगाने में है । दौड़ते हुए वो झाड़ियो में घुस गए और घनी पत्तियोंवाले एक झाड़ी में जा छुपे । कर्नल भी हाँफते हुए वहाँ �
[9:40 PM, 1/23/2019] pinks: हाँफते हुए वहाँ पहुँचा और चिल्लाकर गालियाँ देने लगा , (मुहावरों वाला) उसने एक छोटा पत्थर उठाया और झाड़ियो में दे मारा ।राजीव के एकदम करीब से पत्थर निकल गया । तीनों के डर से हालत खराब थे । एक दूसरे से चिपककर वो खुद को छिपाने में लगे हुए थे , मुश्किल से साँस काबू में कर पा रहे थे । कर्नल इसी तरफ गालियाँ देते हुए चार पाँच पत्थर और फेंका । ये तो उनके भाग्य अच्छे थे जो लगे नही । कुछ देर बाद आवाज़ आनी बन्द हो गई ।
'' लगता है वो चला गया '' राजीव फुसफुसाते हुए धीरे से कहा ।
[10:04 PM, 1/23/2019] pinks: '' अबे चुपकर , कही इधर ही छुपा होगा तो सुन लेगा हमारी आवाज़ '' धीरू घबड़ाहट में साँस को काबू करते हुए कहा । तभी शिवालिक का मोबाइल बज उठा । तीनों सकपका गए । कर्नल अभी गया न था , शायद इनके निकलने के इन्तजार में वहीं घात लगाये हुए था । वो पागल हाथी की तरह झाड़ी में बन्दुक से पेड़ के पत्तों पर मारने लगा , गलियाँ देते हुए ।शिवालिक ने तुरंत कॉल को काट दिया और मोबाइल साइलेंट मोड ,,,,,,,,,,,,, में कर लिया । फोन उसके पापा का था । तीनों बिना एक शब्द बोले चुपचाप बैठे रहे । पक्षियों की चहचहाने की आवाज़ सुनाई दे रही थी । हल्की - हल्की हवा बहने के कारण , पेड़ के पत्तों की सरसराहट , शास्त्रीय संगीत की धुन दी लग रही थी । तीनो डर से कुछ नही बोल रहे थे । कर्नल गालियाँ देते रहा ( मुहावरों वाला ) फिर कुछ देर बाद उसकी आवाज़ आनी बन्द हो गई । फिर भी ये लोग अपनी - अपनी जगह से हिले नही । इसी तरह दस मिनट और गुज़रे पर फिर किसी की आवाज़ नहीं सुनाई दी । एक बार फिर शिवालिक के मोबाइल पर कॉल आने लगा ।
[10:40 PM, 1/23/2019] pinks: '' हेलो पापा ''
'' हाँ बेटा , मैंने अपने दोस्त कर्नल से बात कर ली है आज तुम लोग उन्हीं के यहाँ मेहमान होओगे ''
'' जी पापा , पर वो रहते कहाँ है ''
'' कुँदु बस्ती में रहते है ''
'' अच्छा , हमलोगों की गाड़ी खराब हो गई है , संयोग से हमलोग कुँदु में ही है ''
'' तब तो और भी अच्छी बात है । आज रात यही रुक जाओ , कर्नल वीरभूमि भूटिया बड़े ही अच्छे और नेकदिल इंसान हैं ।
'' माय गॉड '' कर्नल का नाम सुनते ही अचानक शिवालिक के मुँह से निकल पड़ा ।
'' क्या हुआ बेटा ''
'' आ --- कुछ नही पापा , वो सामने हाथी का एक झुँड गुज़र रहा है , बस ऐसे ही '' पर ये तो कर्नल के नाम सुनने का इफेक्ट था ।
''हमलोगों ने साथ में दसवीं तक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ाई की थी । तुम्हे वो तीन साल की उम्र में देख चुके है इसलिए तुमसे मिलने को उत्साहित है ''
हमारी तो मुलाकात ऐसी हुई है कि अगर पहचान हो गई तो मुझे ये बुढ़ऊ पेड़ पर लटका कर गोली मार देगा ।
'' कोई दिक्कत बेटा ''
'' नही पापा , हमलोग रात 8 बजे उनके यहाँ चले जाएँगे , आप उन्हें बता दिजिएगा ।
'' ओके डिअर सोन लव यू '' ..................
'' बाई पापा ! लव यू तो '' ........... . ...
[11:11 PM, 1/23/2019] pinks: '' पागल हो गया है क्या तू '' 
" मरवाएगा क्या "
" अरे यार  कंट्रोल करो , कोई उपाय नही है रात होती जा रही है , इस इलाके से शहर तक पहुँचने में पाँच  घंटे लगेंगे ,ओर रात में उग्रवादियों का भी डर रहता है " 
" कर्नल सबसे बड़ा आतंकवादी है " राजीव 
" यहाँ मरने  से अच्छा है कि रास्ते में उनके हाथों से मरा जाए कम से कम सरकार  परिवारवालों को कुछ पैसे तो दे ही देगी " धीरू 
" बिल्कुल सही कह रहे हो धीरू अगर उसने हमें पहचान लिया ,तो सीधे गोली मार देगा "
" क्या बेवकूफों वाली बातें कर रहे हो तुम दोनों अरे ! उसने हमारा चेहरा नहीं  देखा है सिर्फ कपड़े देखें हैं "
 वास्तविकता तो ये थी कि शिवालिक को कर्नल की बेटी अच्छी लग गई थी ।
" कैसे चलेंगे , पता नहीं अभी तक गाड़ी बनी या नहीं "
शिवालिक -: गाड़ी वही ढाबे पर ही छोड़ दिया जाएगा  हमलोग पैदल जाएँगे ।
धीरू -:  बेवकुफ हो क्या , आने - जाने में समय भी लगेगा ,और हम अपने कपड़े कहाँ बदलेंगे  इन कपड़ो में वो पहचान जाएगा खूसट " 
 शिवालिक -: खूसट मत बोल यार ।
राजीव -: तो क्या बोलें  uncle जी ।
शिवालिक -: कम से कम आज भर के लिए तो बोलना ही पड़ेगा , अंकल ही तो है , गलती करोगें तो कोई भी नाराज़ होगा । 
धीरू -: समय नही है ,सूरज ढलने लगा है ,जल्दी करो जाने - आने में कम से कम दो घंटे लगेंगे पैदल । 
"चलो चलते है "
[11:47 PM, 1/23/2019] pinks: इस बार जाने में थोड़ा ज़्यादा समय लग गया चुकी दौड़ने के कारण पैर थक गए थे । वहाँ जाकर पता चला कि मैकेनिक की बीवी आचानक बीमार पड़ गई थी सो बीच में ही गाड़ी बनाना छोड़कर वो घर जा चुका था ।इनलोगों ने होटलवाले से बात की कुछ पैसे दिए , तब वो गाड़ी की रखवाली करने पर तैयार हुआ ।
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तीनों अपने - अपने कपड़े बदले , बैग लिया और चल दिये । रात के सात बज रहे थे आसमान में हल्की धुंधली चाँदनी रोशनी छिटक रही थी । तीनों ने फिर किसी तरह पहाड़ी को पार किया और कुँदु बस्ती आ गए । आने में उन्हें घंटे भर का समय लगा चूँकि रात हो चुकी थी सो संभलकर आना पड़ा । कुहासे की चादर वातावरण को अपने आगोश में ले चुकी थी ।
'' चोलो एक बार फिर आ गये , अपने इस जाने - पहचाने चबुतरे के पास '' धीरू ने धीरे से कहा । घर मे बल्ब की धीमी रोशनी टिमटिमा रही थी । पुरा वातावरण शांत था । मेन गेट के पास एक कुत्ता लेटा हुआ था , जो इन्हें टुकुर टुकुर ताक रहा था । तीनों दरवाज़े के पास जा पहुँचे । तभी राजीव ने बैग से बिस्किट निकाल कर कुत्ते के सामने फेंका , कुत्ता उस पर झपटा ।
'' क्या कर रहे हो तुम '' शिवालिक
'' मैन सोचा थोड़ी दोस्ती कर लूँ '' राजीव
'' प्लीज , अब कोई गलती न करना '' शिवालिक मन में एक डर बना हुआ था , कहीं कर्नल ने पहचान लिया तो , या फिर उसकी बेटी ने सबकुछ बता दिया कि यही तीनों थे , शाम के वक़्त , तो क्या होगा । इन लीगों ने ख़ुद एक खतरा मोल लिया था ।

[2:36 PM, 1/24/2019] pinks: डरते -डरते शिवालिक ने दरवाज़ा खटखटाया ।
'' कौन है '' वही भारी भरकम आवाज़ घर से सुनाई थी । राजीव घबड़ाकर भागने के लिए पीछे मुड़ा । तभी धीरू ने उसका हाथ पकड़ लिया ।
'' जी में शिवालिक हूँ , हमलोग दिल्ली से आए है , शिवालिक ने पुरे आत्मविश्वास के साथ कहा ।
'' सुनों तुमलोग इसबार कोई गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए । दिमाग को ठंडा रखो और भूल जाओ की दिन में कुछ हुआ भी था या हमलोग यहाँ आए भी थे '' शिवालिक धीरे से दोनों को समझाते हुए कहा ।
तभी घर का दरवाज़ा खुला और एक आदमी चाभी लेकर बाहर आया मेन गेट खोलने खोलने के लिए । शायद ये नौकर था । उसने तीनों का स्वागत किया , बैग उठाने में मदद की और घर के भीतर ले आया ।
कर्नल ड्राइंग रूम में बैठा किताब पढ़ रहा था ।
'' नमस्ते अंकल '' तीनों ने हाथ जोड़कर प्रणाम किया । कर्नल ने काफी गौर से तीनों को देखा , धीरू भीतर से काँप गया । वो पहचान न पाया इन्हें ।
'' नमस्ते - नमस्ते , आने में तकलीफ तो नही हुई ''
आने में तो नही पर जाने में थोड़ी ज़्यादा तकलीफ हुई थी । भागना पड़ा था न इसलिए ।
''नहीं अंकल बिल्कुल भी नहीं '' शिवालिक ने मोर्चा संभालते हुए कहा ।
'' आओ बैठो - बैठौ '' तीनों ने भीगी बिल्ली की तरह आज्ञा का पालन किया । इसी बीच शिवालिक ने अपने दोंनो दोस्तों का परिचय भी करवाया ।
  ' तुम्हारे पापा ने फोन कर दिन में बात किया था मैंने ही कहा था कि रात भर के लिए ही सही तुम्हें यहाँ भेज दे ।
'' जी , वो मेरी भी उनसे बात हुई थी ''
'' तुमलोगों का काम कैसा चल रहा है ''
इस सवाल का जवाब तीनों ने ही दिया ।

[12:40 PM, 1/25/2019] pinks: अब सभी आपस में घुलमिलकर बात कर रहें थे । बातों - बातों में कर्नल ने अपने कॉलेज के दिनों के बारे में बताया , शिवालिक के पिता की दोस्ती की तारिफ़ भी की । कर्नल के ज़ुबान से मस्ती शब्द सुनना थोड़ा अजीब लगा । सेना में वो कितनी बार दुश्मनों के छक्के छुड़ा चुके थे , इसका बढ़ चढ़कर बखान किया ।
'' पापा चाय लाऊँ '' एक मधुर आवज़ जो कानों में रस घुलते हुए सीधे दिल पर वार की , ये तो कर्नल की बेटी थी । तीनों के नज़रे उससे मिली । और झट से नज़र झुक भी गई । तीनों शर्म से पानी - पानी हो गए । हिम्मत न हुई नज़रे मिलाने की । शिवालिक ने धीरे से उसकी तरफ देखा और आँखों ही आँखों में क्षमा याचना की , पर लड़की ने नज़रे घुमा ली।
'' चार चाय लाना बेटा , ये हमारे आज के मेहमान है । '' लड़की ने कुछ न बोला वो सीधे कमरे से बाहर चली गई । कुछ देर बाद नौकर ने चाय दी । चारों ने इसी तरह बात करते हुए चाय पी और कर्नल के कहने पर नौकर ने तीनों को दो तल्ले पर कमरे में छोड़ आया ।
घर ब्रिटिश ज़माने का बना हुआ था । सीढ़ी तक लकड़ी का था । सारे घर की साज सज्जा काफी खुबसूरत लग रही थी , कमरे में एक बड़ा सा पलंग था , जो दिखने में बिल्कुल शाही तरीके का लग रहा था । एक बड़ा सा टेबल था जिसपर कुछ किताबें रखी हुई थीं । और कमरे के कोनो में एक टी.वी. लगी हुई थी । खिड़की से बाहर पहाड़ दिखाई पड़ रहा थे जो धुँध की वज़ह से सिर्फ ढांचे लग रहे थे ।
तीनों ने कपड़े बदले और बाथरूम से मुँह - हाथ धोकर तैयार हो गए । धीरू ने टी.वी. ऑन किया ।
'' मुझे बहुत बुरा लग रहा है यार , मुझे सीटी नहीं मारनी चाहिए थी '' राजीव मायुस होते हुए कहा ।
'' इस विषय पर हमलोग कोई बात नहीं करेंगे ''
[7:35 PM, 1/25/2019] pinks: बस अपने चेहरे को खुशनुमा बनाए रखो जैसे कुछ हुआ ही नही था , उन्हें बिल्कुल भी शक नहीं होना चाहिए '' शिवालिक ने समझाते हुए कहा ।
'' लेकिन अगर लड़की ने सबकुछ बता दिया तो '' धीरू चिंतित था ।
'' मैं बोल रहा हूँ इस मुद्दे पर हम कोई बात नहीं करेंगे '' शिवालिक बीच में ही बात काटते हुए कहा ।
फिर तीनों ही टी.वी. देखने में मशगुल हो गए ।
[8:09 PM, 1/25/2019] pinks: इस बिच शिवालिक ने अपने एक क्लाइंट से बातचीत की क़रीब घंटे भर बाद दरवाज़े पर दस्तक हुई ।
'' सर नीचे बुला रहे हैं खाना खाने के लिए '' नौकर ने कहा ।
'' चोलो हम अभी आते है '' राजीव ने कहा ।
टी.वी. देखने का असर हुआ था , अब तीनों ही टेंशन से फ्री लग रहे थे ।
डाइनिंग टेबल काफी बड़ा था , एक साथ करीब बारह आदमी आराम से खा सकते थे । बड़े कमरे के बीच में झूमर लटका हुआ था जो काफी मनमोहक लग रहा था । राजीव तो बस देखता ही रह गया । ऐसे घर या तो फिल्मों में देखने को मिलते हैं या फिर किसी महंगे होटलों में ।
टेबल पर कर्नल बैठा था और बगल में उसकी बेटी । धीरू कर्नल की सीधी में बैठा , शिवालिक लड़की के सामने और राजीव , शिवालिक के बगल में । नौकर ने खाना परोसा ।
'' ये मेरी इकलौती बेटी है , जैसे ही कर्नल ने कहा तीनों को देखने का मौका मिल गया । आँखे फाड़ - फाड़ के देखने लगे जैसे आँखों ही आँखों में कैद कर लेंगे ।
'' गुवाहाटी सें ही ग्रेजुएशन कर रही है ''
शिवालिक रोटी का टुकड़ा मुँह में लिए हुए था , सिर्फ हामी भर पाया । लड़की के उपस्थिति में खाने में राजीव
  शर्मा रहा था , फिर भी खाए जा रहा था , भूख के आगे शर्म और हया जैसी चीज़ें बेमानी लगने लगती हैं । शिवालिक खाते हुए किसी न किसी बहाने से लड़की को देख ही लेता ।लड़कियाँ खाते हुए भी काफी खुबसूरत दिखती हैं ।

[12:06 AM, 1/26/2019] pinks: ''खाना काफ़ी लज़ीज बना है '' धीरू ने इस बार बोलने की हिम्मत दिखाई । शिवालिक बस धीरे - धीरे खाय जा रहा था , धीरू की बात सुनकर इसने भी बोलना चाहा ।
'' हाँ बेटा हमारा नौकर सालों से यहाँ रह रहा है , काफ़ी अच्छा खाना बनाता है '' कर्नल पहले ही बीच में बोल पड़ा ।
शिवालिक अपने मन में खाने की बड़ाई करने लिया था । जैसे - खुबसूरत लोग खाना भी अच्छा बनाते हैं । पर यहाँ तो नौकर का बात सुनकर पेट की बात पेट में ही अटक गई ।
इधर राजीव खाते हुए बार - बार सर उठाकर झूमर को निहारने लगता जो काफ़ी अजीब भी लग रहा था । बीच में कर्नल ने एक चुटकुला सुनाया , जिसे सुनकर हँसी तो बिल्कुल भी नहीं आने वाली थी पर , तीनों ने ज़ोर का ठहाका लगाया कि कमरे में आवाज़ गूँज गई । राजीव को खाँसी तक आ गई । इसे बोलते हैं ओवर एक्टिंग । एक पल के लिए लड़की ने भी बड़ी ही अज़ीब नज़रो से इन सबको घुरा । तभी शिवालिक का मोबाइल बज उठा । मोबाइल का रिंगटोन सुनते ही कर्नल चौक पड़ा। उसे ये आवाज़ सुनी - सुनी सी लगी । धीरू की नज़र कर्नल के चेहरे पर पड़ी और डर की रेखा आँखों में तैर गई ।
'' हेलो , हाँ अभी मैं थोड़ा बिजी हूँ कल बात करता हूँ '' शिवालिक ने फोन काट दिया । खाना खत्म कर तीनों ही कमरे में आ गए ।
                  रात 10 बजे
कर्नल अपने कमरे का गेट बन्द किया और कुर्सी पर बेजान मूर्ति की तरह धम्म से बैठा । ये लड़को को पहचान चुका था । आँख बन्द करते ही इसे अपनी पत्नी के कहे हुए अन्तिम वाक्य दिमाग में घुमने लगे ।

'' मेरी बेटी को एक अच्छे लड़के से शादी करना और उसकी आँखों में कभी भी आँसू न आने देना , कभी भी अपनी नज़रो से दूर न होने देना ''
पाँच मिनट तक निर्जीव प्राणी की तरह इसी तरह बैठा रहा , बिना हिले डुले । और फिर फ़्रिज से शराब की दो बोतलें निकाल लाया ।

[8:11 PM, 1/26/2019] pinks: '' तेरी बेटी को वो भगा ले जाएँगे ''
शीशे के ग्लास में उसने एक ग्लास शराब उड़ेली , सोडा पानी मिलाया , बर्फ के कुछ टुकड़े भी डाले और बिना रुके एक साँस में पी गया ।
' ये परदेसी लड़के किसी के नहीं होते '
ग्लास में उसने फिर शराब उड़ेली और बर्फ के टुकड़े डालकर सारा ग्लास एक घूँट में खत्म कर गया ।
' कल के अख़बार में भी एक खबर आयी थी इसी तरह लड़के अपने एक जान पहचान वाले के घर गए और रात भर में ही लड़की को ले उड़े ।
' तुझे क्या लगता है कर्नल , ये तेरे दोस्त का बेटा है तो शरीफ होगा , देखा नहीं उसकी आँखें बार - बार तेरी बेटी की ही तरफ जा रही थी '
' क्या पता रात को चुपके से गेट खोलकर वो उसके कमरे में चले जाएँ '
कर्नल ने एक - एक कर शराब के तीन ग्लास भरे और गटागट पी गया । दिमाग़ में रह - रह कर उसे यहीं बाते आ रही थी । वो ख़ुद सोच - सोचकर अपना ब्लडप्रेसर बढ़ा रहा था । अब उसे इन लड़को पर एतबार नहीं रह गया था । जैसे - जैसे नशे का पारामीटर बढ़ रहा था वैसे - वैसे इसके दिमाग़ में शक और भी बढ़ता ही जा रहा था ।
'' अरे यार ! कितना मस्त घर है बे , झूमर तो दिल को टच कर गया '' राजीव ने कमरे का गेट बन्द करते हुए कहा ।
[8:53 PM, 1/26/2019] pinks: '' मुझे कर्नल की आँखे कुछ सही नही लग रही थी , लगता है जैसे वो हमलोगों को पहचान गया है '' धीरू ने बिस्तर पर बैठते हुए कहा ।
'' तुमलोगों ने देखा एक चीज़ , वो जब ग्लास से पानी पी रही थी तो , तिरछी नज़र से उसने मेरी ओर देखा था '' शिवालिक ने खिड़की के परदे हटाए और आसमान में धुँधली चाँद को निहारते हुए फ़रमाया । तीनों अपनी - अपनी बात कह रहे थे , कोई एक दूसरे को सुनने को तैयार न था ।
'' मैं भी ऐसा ही एक घर लूँगा पहाड़ी इलाका में , जहाँ सिर्फ पहाड़ -ही पहाड़ हों और मेरा सपनों का घर '' राजीव अपना नाईट ड्रेस पहना और बिस्तर पर औंधे मुँह लेट गया ।
'' हमलोगों को यहाँ नहीं आना चाहिए था , बेहतर होता गाड़ी में ही रात गुज़ार लेते , क्या पता वो हमलोगों के बारे में कुछ गलत सोच रहा हो '' धीरू ने नाईट बल्ब ऑन करके अपने जूते खोले और बोतल में रखा पानी पीने लगा ।
'' आज बहुत दिनों बाद कोई लड़की मुझे पसन्द आई है , काश ! की मैं उससे शादी कर पता '' शिवालिक अब भी चाँद को ही निहार रहा था ।
कर्नल ने शराब की दूसरी बोतल खोली और ग्लास में भरकर लगातार दो ग्लास बिना साँस रोके चढ़ा गया । शराब गले से होते हुए नीचे पेट की ओर जा रही थी और इधर दिमाग़ में उत्तेजना उपर की ओर रॉकेट की तरह बढ़ती ही जा रही थी । वो शराब पीकर इन खयालातों से मुक्ति चाह रहा था , पर जितना वो इनसे दूर भागने की कोशिश करता वो उतनी ही गती से इसका पीछा करते हुए और भी अपने वश में करते जाते । शक ने इसे बुरी तरह जकड़ लिया था । हर मर्ज़ का इलाज़ है , शक का नहीं ।
[10:17 PM, 1/26/2019] pinks: राजीव थक गया था , बहुत जल्द ही सो गया ।
'' है रात पलकों में समायी ,
चाँद के दर पे महबूबा की याद आयी '' ।
''ये मजनूँ , प्लीज कन्ट्रोल कर अपने इमोशन पर , लौंडिया दिखी नहीं और चालू हो गए प्यार की पींगे बढ़ाने '' धीरू ने रजाई के अंदर लेटते हुए कहा ।
'' उसे लौंडिया मत बोल यार ! कितनी प्यारी है , वो तो परी है , देखा नहीं तुने उसकी मुस्कान । माय गॉड , दिल को चीर गया ''
'' देख शिवा मुझे उसमें कोई इनंट्रेस्ट नहीं ''
'' और इनंट्रेस्ट रखना भी मत , भाभी लगेगी तेरी ''
'' कर्नल को पता चला न , तो शाम में वो बन्दुक लेकर सिर्फ दौड़ रहा था न , इस बार तेरो को दौड़ा - दौड़ा के मारेगा ''
'' अरे उसने अपना नाम क्या बताया था '' शिवालिक ने धीरू को छेड़ते हुए कहा " 
 " मुझे नहीं पता " धीरू ने जानबुझकर नहीं बताया । क्योंकि अगर ये बताता तो शिवालिक उसका राशिफल से लेकर कुँडली तक निकालने लगता ।
" कभी तो कुछ पता रखा कर अपनी भाभी के लिए ही सही "  शिवालिक जानता था , धीरु को  आज तक कोई लड़की घास नहीं डाली थीं , इसलिए इन बातों से वो चिढ़ जाता था । 
" कल सुबह ही , हमलोग निकल चलेंगे " धीरु गंभीर स्वर में कहा "
" तुझे प्रॉब्लम क्या है ?  उसने तो कुछ बोला नहीं , फिर  ख़ुद से इतना दिमाग़  क्यों लगा रहा है तू  "
" क्योंकि मुझे डर लग रहा है "
" भगवान का नाम ले और आँख बन्द करके चुपचाप सो जा , अरे मैं हूँ ना "
" मुझे सच में डर लग रहा है यार "
" अरे कुछ नहीं होगा जिसकी बेटी इतनी खुबसूरत हो  उसका बाप इतना ज़ालिम नहीं हो सकता है , रात के 12 बजनेवाले है ,  अब आराम से सो जा ओ.के. गुड नाईट "
[10:30 PM, 1/26/2019] pinks: वो हाथों में गुलाबी चुड़ियाँ पहनी थीं और हल्की भूरी आँखों में काजल की पतली धार , जो शिवालिक के दिल को छू गई थी । शिवालिक भी बिस्तर पर लेट गया और आँखे बन्द कर उसके बारे में सोचने लगा ।लड़की की आँखों में इसे वो प्यार नहीं दिखा था । ( शायद शाम में इन तीनों के हरकत पर इन्हें लोफड़ समझ रही होगी ) इसने महसूस किया कि जब नौकर खाना परोस रहा था और गलती से सब्जी थोड़ी नीचे गिर गई तो लड़की ने नौकर को बड़ी ही कड़ियल नज़र से देखा था । जो एक साधारण लड़की के उपर शोभा नहीं देता है । इन्हीं खयालातों में डूबे इसकी आँखे कब लगीं कुछ पता ही न चला ।
[10:56 PM, 1/26/2019] pinks: रात के 2 बजे

सारा वातावरण ठंड की रेशमी चादर से लिपटी पड़ी थी । चाँद अपने पूरे शबाब पे था । हल्की - हल्की हवा चल रही थी । चारों तरफ कुहासे के कारण ठीक से कुछ भी दिखाई नहीं दे रही थी । सभी लोग गहरी नींद में सो रहे थे , सिवाए एक के ।
धीरु को कुछ अजीब सी आवाज़ सुनाई दी उसने तुरंत अपनी आँखें खोली (चूंकि ये पहले से ही डरा हुआ था इसलिए नींद जल्दी खुल गई ) कमरे में नाईट बल्ब की मद्धिम रोशनी बिखर रही थी । सामने दिवाल घड़ी टंगी थी जिसमें रात के दो बज रहे थे । तभी उसे फिर वही अज़ीब आवाज़ सुनाई थी । इस बार उसने पहचान लिया ये लोहा काटने का आवाज़ था । लेटे हुए ही इसने चारों तरफ नज़र दौड़ाया , अचानक इसकी नज़र गेट पर पड़ी और वहाँ का दृश्य देखकर इसकी हालत पतली हो गई , कोई था जो दरवाज़े की चिटकनी को रेती से काट रहा था । इसका शक बिल्कुल सही निकला । जल्दी से इसने राजीव और शिवालिक को जगाया । उन दोनों ने भी देखा तो डर से पसीना निकलने लगा । इनलोगों की हालत शेर के माँद में पड़े गाय की तरह हो गई ।
[11:32 PM, 1/26/2019] pinks: ''मैने बोला था ना ये आदमी सही नहीं लग रहा है ''
'धीरु को बोलने का मौका मिल गया था ।
'' अब देख लिया ना नतीज़ा , पर मेरी सुनता कौन है '' धीरु परेशान हो चुका था ।
'' ऐ भाई मुझे बहुत डर लग रहा है '' राजीव जल्दी - जल्दी अपना जैकेट पहनते हुए कहा ''
'' एक उपाय है '' शिवालिक जल्दी से बेड से दोनों को नीचे उतारा और बेडसीट खींच लिया ।
'' इसका क्या करोगे '' राजीव घबड़ाहट में ठीक से बोल भी नहीं पा रहा था ।
'' इसे जल्दी से लपेटो '' शिवालिक ने धीमी आवाज़ में निर्देश दिया । दोनों ने मिलकर लपेटना शुरू कर दिया तब तक ये अपने बैग से नेलकटर निकाला और उसकी मदद से खिड़की के ग्रील का नट खोलकर उसे अलग कर दिया । तीनों ने मिलकर उस बेडसीट को रस्सी बनाकर खिड़की के लोहे से बाँधकर बाहर की और लटका दिया । इधर चिटकनी काटने का काम जारी था , अब बस दस मिनट में पूरा लोहा कट सकता था ।
'' इस पलंग को गेट से सटा दिया जाए अगर चिटकनी कट भी जाए तो गेट खोलने में देरी होगी '' शिवालिक की ये बात दोनों दोस्तों को अच्छी लगी , और बड़ी ही सावधानी से तीनों ने मिलकर पलंग को गेट से सटा दिया । एक पल के लिए लोहा कटना बंद हो गया , शायद सटाने के दौरान हुई आवाज़ की वज़ह से । तीनों ने अच्छा मौका देखा ।
'' राजीव सबसे पहले तुम नीचे उतरो '' धीरु ने कहा
'' अरे यार ! मैं कभी पेड़ पर चढ़ा नहीं आज तक , इस दो मंजिला बिल्डिंग से नीचे कैसे उतरूँगा ''
'' बेवकूफों जैसी बातें न कर जिंदगी में कभी - कभी कोई काम पहली बार भी किया जाता है , चलो जल्दी करो '' शिवालिक ने उसे समझाते हुए कहा । चिटकनी काटने का काम फिर शुरू हो चुका था ।
[12:06 AM, 1/27/2019] pinks: '' हे माँ ! रक्षा करना ''
'' अबे उतर कुछ नही होगा '' धीरु बहुत ज्यादा घबड़ाया हुआ था । इन सभी चीज़ो का सामना वो पहली बार कर रहा था , बल्कि तीनों ही कर रहे थे , फिर भी इसे ज़्यादा परेशानी थी ।
राजीव धीरे - धीरे बेडसीट को पकड़े नीचे उतर गया ।
'' धीरु , कम ऑन तुम जाओ ''
'' नहीं शिवा पहले तू उतर '''
'' अरे यार ! ये लड़ने का समय नहीं है , अब चिटकनी बस टुटने ही वाली है , मेरी चिन्ता मत कर मैं आ जाऊंगा ''
'' दोस्त मुझे समझ नहीं आ रहा है , ये क्या हो रहा है , आख़िर हमलोग इस मुसीबत में कैसे फँस गए '' धीरु मुड़कर जल्दी से आगे बढ़ना चाहा तभी उसके पाँव बड़े से टेबल से टकरा गया , उस पर रखा जग गिरते - गिरते बचा ।
'' तुम कर क्या रहे हो ''
'' सॉरी यार , इस टेबल को भी अभी ही टकराना था , कमीना , हे भगवान तुने टेबल क्यों बनाए ''
'' टेक इट इजी ओके '' आराम से उतरना , धीरु उतरना शुरू किया , तब तक शिवालिक हैंगर से उतारकर अपना जैकेट पहनने लगा ।
''कौन हो सकता है और आख़िर ऐसा क्यों कर रहा है ''
शिवालिक ने सोचते हुए चिटकनी पर नज़र दौड़ाई , अब बस वो टूटने ही वाली थी । तभी धड़ाम से किसी चीज़ की आवाज़ आयी । शिवालिक तुरंत खिड़की के पास गया ओर नीचे झाँका ।
'' ओह शिट , मैंने कहा था आराम से उतरने के लिए ''
बेडसीट के गिरह के खुलने की वज़ह से धीरू ट्रक में लदे आलू की बोरे की तरह लद से ज़मीन पर गिरा ।
शिवालिक खीझ गया , इधर चिटकनी भी कट चुकी थी ।
[12:33 AM, 1/27/2019] pinks: पसीने से तर -ब-तर हो गया वो , दिल की धड़कन तेज़ हो गई अब क्या करे कुछ समझ में नहीं आ रहा था । जैसे ही नीचे धम्म की आवाज़ आयी चिटकनी काटनेवाले ने गेट को धक्का देना शुरू कर दिया । मारे घबड़ाहट के शिवालिक के प्राण सुख गए । उसने तुरंत पलंग को फिर धक्का देकर सटा दिया ।
'' तू ठीक तो है '' राजीव ने धीरु को उठाते हुए कहा ।
'' खाक़ ठीक है , साला अभी ही टुटना था इसको , वहाँ शिवा फँसा हुआ है '' धीरु दर्द से छटपटाते हुए कहा । अँधेरी रात थी , कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था । एक तो ठंड और उपर से दो मंजिला बिल्डिंग से ढाई बजे रात को गिरना , धीरु ने शायद सपने में भी नहीं सोचा होगा । हाँ एकबार तीनों ने साथ में एक हॉलीवुड फिल्म देखी थी , उसमें इसने देखा था , कैसे हीरो हीरोइन को लेकर तीन मंजिला बिल्डिंग से कूद जाता है , और कुछ नहीं होता । आज इसे समझमें आ गया फ़िल्मवाले लोगों को कितना बेवकुफ बनाते हैं ।
'' अब क्या किया जाए '' राजीव ने बेडसीट उठाते हुए कहा ।
'' इसे फेंकता हुँ , शायद खिड़की तक पहुँच जाए ''
इधर शिवालिक पेशोपेश में पड़ा हुआ था । गेट को बार - बार धक्का दिया जा रहा था । तभी धीरु ने बेडसीट को ज़ोर से फेंका पर वो आधी रास्ते से ही गिर गई ।
'' अरे यार , डू इट , कम ऑन '' शिवालिक के जान हलक में आ गये थे ।इधर थोड़ा पलंग खिसकने की वज़ह से गेट खुलने लगा था ।
[11:21 AM, 1/27/2019] pinks: शिवालिक ने जल्दी से पलंग को फिर से धकेलकर सटा दिया और , इस बार बड़े टेबल को भी खींचकर पलंग के साथ सटा दिया । अब शायद गेट देरी से खुले ।
शिवालिक फिर खिड़की के पास झाँककर नीचे देखा और इसके प्राण हलक में अटक गए । इसे मौत बहुत नज़दीक दिखाई दे रही थी ।बेडसीट पहली मंज़िल की खिड़की के छज्जे पर अटक गई थी । इसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे । समझने की शक्ति जैसे क्षीण हो गई । इधर गेट के धक्के से पलंग धीरे - धीरे सिसकने लगी थी , दिमाग सुन्न सा हो गया । इसने आँखे बन्द की और लगा जैसे वो खुबसूरत लड़की सामने है ।
[11:43 AM, 1/27/2019] pinks: लपकते हुए शिवालिक पहले खिड़की के लोहे को पकड़ा और पैर नीचे की ओर बाथरूम के पाइप पर टिका दिया । ठंडी हवा और बर्फ के समान ठंडे लोहे को , पकड़ने से जैसे हाथ जमने लगे । किसी तरह ये बाथरूम के पाइप को पकड़ने में कामयाब हुआ । धीरे - धीरे पाँव संभालकर वो नीचे उतरने लगा । तभी पलंग के खिसकने की आवाज़ आयी और गेट ज़ोरदार धमाके के साथ खुला । शिवालिक हड़बड़ा गया , हाथ फिसलते - फिसलते बचा । ओस के कारण पाइप गिली हो चूकि थी , इसलिए पाँव भी फिसल रहे थे ।
[11:52 AM, 1/27/2019] pinks: कमरे में टॉर्च की पीली रोशनी दिखी । लग रहा था जैसे कोई जल्दीबाज़ी में इधर - उधर कुछ खोज रहा है । इतनी ठंड होने के बावजूद भी शिवालिक के माथे पर पसीना आने लगे । वह संभलकर जल्दी - जल्दी नीचें उतरने लगा , अभी वह पहली मंज़िल के छज्जे तक ही पहुँच पाया था कि रोशनी सीधे उसके चेहरे पर पड़ी । मारे घबड़ाहट के उसकी चीख निकल गई ।
[12:35 PM, 1/27/2019] pinks: हाथ -पैर मानो जम गए ।
'' शिवा भाग , जल्दी कर वो बन्दूक तान रहा है ''
राजीव और धीरु ने चिल्लाते हुए कहा , इधर बन्दूक निशाने पर तन चुकी थी ।
आवाज़ सुनकर हड़बड़ाहट में शिवालिक के पैर फिसले और तभी अचानक गोली चलने की आवाज़ आयी । शिवालिक को गोली की तेज़ सरसराहट महसूस हुई । गिरते हुए उसकी आँख बन्द हो गई , तब इसे लगने लगा , बेकार वो यहाँ आया , काश वो धीरु की बात मान लेता । और उसकी आँखों में वही खुबसूरत लड़की का चेहरा घुम गया , काश कि वो अपनी दिल की बात कह दिया होता ।
शिवालिक बाल - बाल बचते हुए धड़ाम से नीचे ज़मीन पर गिरा ।
'' तु ठीक तो है , शिवा '' राजीव रुआँसे आवाज़ में पूछा ।
'' हाँ , मैं ठीक हूँ , गोली नही लगी मुझे भागो , शिवालिक फुर्ती के साथ उठा , तभी एक और गोली चली , पर किसी को लगी नहीं । तीनों भागना शुरू कर दिये । भागकर घर के चाहरदिवारी के पास आये । चाहरदिवारी ऊँची थी और उसपर लोहे के काँटोवाली तार लपेटी हुई थी । सबसे पहले राजीव को नीचे से धक्का देकर उठाया , वो चाहरदिवारी तड़प गया ।
'' चल धीरु जल्दी कर '' शिवालिक ने पॉकेट में मोबाइल चेक करते हुए कहा , शुक्र है , पॉकेट में मोबाइल था ।
'' नहीं पहले तू ''
'' तू पागल हो गया है क्या , इस स्तिथी में भी तुझे .............''
'' अरे मैं तुमसे लम्बा हूँ , एड़ी पर खड़े होकर मैं अकेले चहारदिवारी फाँद सकता हूँ , चल जल्दी कर '' धीरु ने शिवालिक की बात बीच में ही काटते हुए बोला ।
[11:00 PM, 1/27/2019] pinks: इस तरह पहले शिवालिक और पीछे से धीरु भी चाहरदिवारी फाँदकर बाहर आ गये ।
[11:32 PM, 1/27/2019] pinks: ( 3 )
बाहर धुँध के कारण कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था । तीनों एक दूसरे का हाथ पकड़े और भागना शुरू कर दिये , बिना रुके भागते रहे । वातावरण बहुत ही शाँत था । चाँदनी रोशनी छिटक रही थी , पर कुहासे की वज़ह से कुछ साफ - साफ दिखाई नहीं दे रही थी ।
अचानक फिर गोली चलने की आवाज़ आयी । तीनों के कदम खुद - ब - खुद तेज हो गये तभी राजीव एक पत्थर से टकराया और कटे हुए की तरह ज़मीन पर आ गिरा । इस बार बिना किसी सहारे के वो ख़ुद उठा और तेज़ी से भागना शुरू किया । तीनों को देखकर लग था , मानों मैराथन दौड़ का अभ्यास कर रहे हों और ओलम्पिक में क्वालीफाई होने के लिए रात में भी मेहनत कर रहे है । लगातार आधे घंटे बिना रुके , बिना एक दूसरे से बोले एक सीध में वो भागते रहे नतीज़ा ये हुआ की रास्ता भटक गए ।
'' ये जंगल तो रास्ते मे नहीं था '' राजीव धीरे से डरते हुए बोला ।
सुनसान रात , वो भी पहाड़ी इलाके में जहाँ हरपल जंगली जानवर और उग्रवादियों का डर और उपर से रास्ते का भटकना , बेचैन कर गया तीनों को ।
'' हाँ शिवा , हमलोगों के आते समय इतना ऊँचा पेड़वाला जंगल तो नहीं था , छोटी सी झाड़ी नुमा पेड़ था '' धीरु ने अब अपना स्पीड कम कर दिया , बल्कि तीनों ने ही अपने गति को कम कर लिया । ठंड में भी पसीना निकल रही थी और ये पहाड़ी ठंडी हवा जब पसीने से लथपथ बदन को छुती तो लगता जैसे , नंगे बदन पर तेज़ धारदार चाकू से काटकर उसपर बर्फ लपेट दिया गया हो ।
[11:59 PM, 1/27/2019] pinks: '' हाँ हमलोग रास्ता भटक चुके हैं '' शिवालिक ने अपनी साँस को काबू में करते हुए कहा । फिर चुपचाप वो बिना कुछ बोले आगे बढ़ते रहे । कई बार इन्हें काँटे भी गड़े , एकबार तो शिवालिक पेड़ से ऐसा टकराया की सैर घुमने लगा , कुछ देर वहीं बैठ गया , फिर दोनों ने मिलकर सर दबाया और आगे बढ़ने लगे । इस तरह घनी जंगल पार हो चुकी थी , अब वो पथरीले रास्ते पर थे लेकिन इतनी ज़्यादा धुँध थी की उन्हें एक दूसरे का चेहरा तक दिखाई नहीं दे रहा था । हवा भी तेज़ी से बह रही थी । दूर से कुछ जंगली जानवरों के अजीब - अजीब आवाज़े सुनाई दे रही थीं । इस तरह वो काफ़ी दूर निकल चुके थे , इस सुनसान इलाके में उनके सिवा और कोई मानव जाति का प्रतिबिंब तक दिखाई नहीं दे रहा था । तभी .......
'' ये कैसी रोशनी है , कहीं उग्रवादियों ने हमें देख तो नहीं लिया '' राजीव डर से थरथराती आवाज़ में कहा और धीरु के हाथ को ज़ोर से पकड़ लिया ।
'' कहीं कर्नल तो नहीं आ रहा है , टॉर्च लेकर लेकिन इतनी जल्दी वो कैसे आ सकता है '' धीरु भी डर से शिवालिक को पकड़ लिया ।
'' उड़ के आ सकता हैं , अरे मूर्खों ये गाड़ी की रोशनी है , टॉर्च की नहीं '' शिवालिक ने अंदाज़ा लगाते हुए कहा ।
दस मिनट बाद वो रोशनी और नज़दीक आयी सचमुच ये गाड़ी थी , क्योंकि आवाज़ ट्रक जैसी मालूम पड़ी ।
'' ये साले ट्रकवालें रात में एक ही लाइट क्यों जलाते हैं '' राजीव गुस्से में कहा ।
'' इसका मतलब अब रास्ता ज़्यादा दूर नहीं है , हमलोगों को मेन रोड तक पहुँचने में मुश्किल से आधे घंटे लगेंगे '' शिवालिक ने पॉकेट से मोबाइल निकाली और समय देखा क़रीब साढ़े चार बज रहे थे ।
[11:58 AM, 1/28/2019] pinks: '' मोबाइल पॉकेट में रखो अगर किसी जानवर या उग्रवादियों ने इसकी रोशनी देख ली तो वो हमें मार डालेंगे '' धीरु बेचैन होकर कहा । वो चलते रहे और आधे घंटे बाद मेन रोड पर पहुँचे गए ।
अब कुछ चिड़ियों की चहचहाहट सुनाई देने लगी थी , इसका मतलब सबेरा हो रहा था । वो रास्ते के किनारे - किनारे मैच के थके हुए खिलाड़ियों की तरह धीरे - धीरे बढ़ते रहे । कोई नहीं समझ पा रहा था कि जिस रास्ते वो चल रहे हैं , वो उन्हें कहाँ ले जाएगा ।
अब अंधेरी रात छँटने लगी थी , और आसमान साफ दिखने लगा था । फिर भी धुँध के कारण अब भी साफ - साफ चीज़ो को देख पाना कठिन था । तीनों थककर चूर हो चुके थे । आँखों में नींद के कारण जलन सी हो रही थी ।
'' चलों कुछ देर यहीं रोड के किनारे बैठते हैं , जब थोड़ी सुबह हो जाएगी तब चलेंगे '' धीरु ने रुकते हुए कहा । तीनों चुपचाप वहीं पास पड़े पत्थर पर जा बैठे । पन्द्रह मिनट तक किसी ने कुछ भी न बोला ।
अब सूर्य की लालिमा आसमान पर छिटकने लगी थी । दूर - दूर तक सफेद पहाड़ दिखाई देने लगे थे । पक्षियों के झुँड के चहकने की आवाज़ आ रहीं थी । तीनो काफ़ी आराम महसूस कर रहे थे । अब सुबह हो चुकी थी ।
'' आज मुझे ये बात मालूम हो गई की किसी के घर मेहमान बन कर जाओ तो उसकी खूबसूरत बेटी पर नज़र ना डालो '' धीरु ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा ।
[1:02 PM, 1/28/2019] pinks: ''अगर समय पर शिवा पाइप से नीचे न कूदा होता तो गोली लग जाती '' रात की बात याद करते हुए राजीव बोला ।
धीरु -: खूंसट कर्नल हमलोगों की जान ही ले लेता ।
शिवालिक -: उसे खूंसुट मत बोल
धीरु -: तुम्हारा दिमाग़ तो ठीक है , वो हरामी तुझे मारना चाहता था और उसे खूंसट बोलने पर तुझे बुरा लग रहा हैं ।
राजीव -: सीने में गोली लगती न तुझे , तब पता चलता , पुकारते बैठ के अंकल - अंकल ।
शिवालिक -: वो कर्नल नहीं था ।
दोनों सकपका गए , लगा जैसे हथौड़ा से सर पर किसी ने झटके से वार कर दिया , आवाज़ अटक कर रह गयी गले में । बगल से एक ट्रक हॉर्न मारते हुए तेज़ गति से निकली । सामने कुछ बगुले आसमान में उड़ते हुए नज़र आए ।
 धीरु -: तो फिर कौन था ।
शिवालिक -: मैंने उसकी हाथों में गुलाबी चुड़िया देखी थीं ।





पलायन

अभी 6 साल ही तो हुए है मुँह के सारे दाँत तक न निकले थे !बहुत खुश था वो कलकत्ता जाना है !बड़ी बिल्डिंगे बस ट्राम चौड़ी सड़के होंगी खूब घूमेगा सड़को पर खूब अच्छा अच्छा खाना तो मिलेगा ही बाबूजी भी साथ होंगे ही /आखिर शहर है भाई फिल्मो में देखा था इसने चमचमाते शहर दिन जैसा लगता है !दिल की उमंगे सातवें आसमान पर थी \
गरीबी ने इसके बाप को पिछले साल ही शहर घसीट लाया था दिन भर हाड़तोड़ मेहनत करता खुद का पेट पालता और उसी में से कुछ रूपये घर के लिए भेजता पर वो पाँच सदस्यों के बड़े परिवार के लिए काफी न था
[9:41 PM, 1/8/2019] pinks: थक- हारकर वो साल भर बाद ही गाँव लौट आया /साल भर में उसका बड़ा बेटा जिसकी उम्र 6 वर्ष है .कुछ बड़ा हो चुका था /मियाँ बीबी ने कुछ खुद में ही गुप्तगू किया तकरार हुई रूठने मानाने तक की नौबत आई पर लाख रोकने के बाद भी इसने अपने बेटे को शहर ला ही दिया \
दो दिन से ठीक से खाने को भी नहीं मिला यहाँ तो माँ भी नहीं जो खाने को कहती /भूख से बच्चे का चेहरा सुखा जा रहा है /किसी तरह बस खाने को इन्तजाम हो पाता /रात में सोने के लिए बमुश्किल से फुटपाथ पर एक जगह मिली /दोनों बाप बेटे गमछा बिछाकर लेट गए /गाँव पर कुछ न था फिर भी सोने के लिए खटिया तो था /यहाँ तो वो भी नहीं , बच्चे की आँखो से आँसू निकलने लगे वो फुट -फुट कर रोने लगा /आँसु रोकते न बन पड़ती थी \
[10:49 PM, 1/8/2019] pinks: क्या यही कलकत्ता है जहाँ चौड़ी सड़के है ट्राम है बड़ी बड़ी चमचमाती गाड़िया है पर उसके और उसके बाप के लिए सोने के लिए फुटपाथ पर भी जगह के लिए झीना झपटी करनी पड़ी खाने के लिए दो दिन से तरसना पड़ा /यहाँ तो उसके दोस्त भी नहीं जिनके साथ गिल्ली डण्डा लुका छिप्पी खले पाता मेले में जाने के लिए अब वो किस माँ से पैसे माँगेगा स्कूल का मुँह तक न देखा अपने दोस्तों को गाँव जाकर क्या ये यही सब बताएगा /बाप ने जब अपने छोटे से फूल से प्यारे जिगर के टुकड़े को इस तरह रोते देखा तो खुद को रोक न पाया अपने गमछे से उसके आँसू पोछने लगा और बायीं तरफ मुँह फेर लिया नजरे न मिला पाया वो /चुप कराने की भरपूर कोशिस की और खुद ही बेकाबू हो उठा /इसने अपने बेटे की आँखो में अपना प्यारा सा दुलारा बेटा मरते हुए देखा ओर एक बेरोजगार असहाय पीड़ित अभागा बेटा जन्म लेते हुए देखा

मिस्टर देसाई की पत्नी

मिस्टर देसाई एक ही मंजिल पर एक ही अपार्टमेंट में या यूँ कहे की  वो  मेरे फ्लैट के बगल में ही रहा करते थे। वो एक  40 साल के अधेड़ व्यक्ति थे...